नींद बड़ी गहरी थी , पर एक ही पल मई उठ गयी,
शायद तुमने मुझे पुकारा या फिर याद ही किया .
उठकर आई फिर दरवाजे तक मई और ढूंढ तुजे रही,
बारबार कोशिश की सोने की पर फिर नींद ही नहीं आयी.
वो हर लम्हा हर पल सिर्फ तुजे ही मैं सौपती रही ,
तुमने वो पल थामा की यु ही दरवाजे से चला गया .
ना बोली मई कुछ और चुप भी मई न रहे पायी ,
जीवन की सरिता बन आसानी से बहे न सकी ,
रूठी मई खुद से ही बात मेरी तुज तक पहुंची होगी ,
तुमने महसूस किया की यु ही दरवाजे से चला गया .
रातभर दिल मई अजीब सी कशमकश होती रही ,
तेरी यादो मई दिलकी तड़प आँखों से बहने लगी ,
अनचाही यादें पलकों के बिच आकर ठहरने लगी ,
तुमने वो निहारा की यु ही दरवाजे से चला गया .
शिखा